Friday, 2 June 2017

भारत में धर्म


भारत एक ऐसा देश है जो विविधता में एकता की विचारधारा में विश्वास रखता है। यहां कई धर्म, संस्कृतियां, परंपराएं, जातीय मूल्य और रिवाज़ मौजूद हैं। भारत की 80 प्रतिशत से ज्यादा आबादी हिंदू धर्म की है। भारत के अन्य मुख्य धर्म सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और इस्लाम हैं। 

यहां बड़ी संख्या में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च और मठ हैं जिनका विभिन्न धर्मों के लोग दौरा करते हैं। यह वो धार्मिक स्थान हैं जहां भौतिक दुनिया का मेल आध्यात्मिक दुनिया से होता है और मन दिव्य पवित्रता और आध्यात्मिकता से भर जाता है। भारत ‘आस्था की भूमि’ है जिसकी आध्यात्मिक हवा में कर्म, धर्म और क्षमा की खूशबू है। धर्मनिरपेक्ष भारत सर्वधर्म समभाव के दर्शन में विश्वास रखता है जिसका मतलब होता है सभी धर्मों के लिए समानता और आदर। यहां धार्मिक स्थान किसी एक राज्य या क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं बल्कि पूरे देश में फैले हैं। 

धर्म और मान्यता के आधार पर वर्गीकृत कुछ धार्मिक स्थान इस प्रकार हैं.

हिंदू धर्म 

चार धाम: किसी हिंदू के लिए चार धाम यात्रा संपूर्ण तीर्थ है। इसमें चार तीर्थ चार अलग अलग दिशाओं में स्थित हैं।
बद्रीनाथ मंदिर - उत्तराखंड में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
जगन्नाथ मंदिर - ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर स्थित है। यह हर साल होने वाली रथ यात्रा के लिए लोकप्रिय है।
रामेश्वरम मंदिर - दक्षिण के रामेश्वरम में स्थित यह भगवान शिव का मंदिर है।
द्वारकाधीश मंदिर - गुजरात के द्वारका में स्थित यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है।

हिमालय में उत्तराखंड एक तीर्थयात्रा सर्किट है जिसे छोटा चार धाम कहा जाता है - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री।

अमरनाथ: जम्मू कश्मीर स्थित पवित्र तीर्थ अमरनाथ, भगवान शिव को समर्पित है। हर साल अमरनाथ गुफा की यात्रा आयोजित होती है जिससे बर्फ से बने शिवलिंग की पूजा की जा सके।

वैष्णो देवी: जम्मू कश्मीर के त्रिकुटा पर्वत में स्थित यह मंदिर मां वैष्णों को समर्पित है। यहां प्राकृतिक रुप से बनी तीन चट््टानी संरचनाओं, जिन्हें पिंडी कहा जाता है, की पूजा की जाती है। 

कामाख्या मंदिर: असम के गुवाहाटी में स्थित यह सबसे प्राचीन शक्ति पीठ है जो देवी कामाख्या को समर्पित है। इस मंदिर में लगने वाले सालाना अंबूबची मेले में हजारों तंत्र श्रद्धालु आते हैं। 

तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर: तिरुपति स्थित यह मंदिर भगवान वेंकेटेश्वर को समर्पित है जिन्हें बालाजी, श्रीनिवासा और गोविंदा जैसे अलग अलग नामों से भी जाना जाता है।
 

सिद्धिविनायक मंदिर: भगवान गणेश का यह मंदिर मुंबई का सबसे लोकप्रिय मंदिर है। आम जनता के अलावा राजनेताओं और बाॅलीवुड हस्तियों के यहां दौरा करने के कारण यह मंदिर बहुत लोकप्रिय है।

शिर्डी सांई मंदिर: महाराष्ट्र के शिर्डी में शिर्डी सांई बाबा का पवित्र स्थल मौजूद है। हर साल यहां बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर लगभग 200 वर्ग मीटर के इलाके में फैला है।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: गुजरात स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और हिंदू तीर्थ यात्रियों के लिए आध्यामिकता और देवत्य का स्रोत है। देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में यह पहला ज्योतिर्लिंग है।

मीनाक्षी अम्मन मंदिर: मदुरै का मीनाक्षी अम्मन मंदिर देवी पार्वती को समर्पित है। देवी पार्वती को मीनाक्षी के नाम से भी जाना जाता है।

ब्रह्मा मंदिर: पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर दुनिया का एकमात्र मंदिर है जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। माना जाता है कि यह मंदिर करीब 2000 साल पुराना है।

सबरीमला श्री धर्म संस्था मंदिर: भगवान अयप्पा का यह मंदिर केरल का सबसे लोकप्रिय मंदिर है। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जिसमें सभी धर्मों और आस्था के लोगों को जाने की इजाज़त है।

कुमारी अम्मन मंदिर: यह कन्याकुमारी का सबसे लोकप्रिय मंदिर है जो देवी कुमारी अम्मन, जिन्हें कुमारी भगवती अम्मन भी कहा जाता है को समर्पित है। यह भारत के शक्ति पीठों में से एक है और भगवान परशुराम द्वारा बनाया गया पहला दुर्गा मंदिर है।
 

शक्ति पीठ: भारत में 50 से ज्यादा शक्ति पीठ हैं। यह सब देवी सती या शक्ति को समर्पित हैं। कुछ शक्ति पीठ हैं - हिमाचल प्रदेश के चिंतपुर्णी में चिन्नामस्तिका शक्ति पीठ, महाराष्ट्र के कोल्हापुर में महालक्ष्मी मंदिर, तमिलनाडु के कांचीपुरम में कामाक्षी मंदिर, कर्नाटक के मैसूर में चामुंडेश्वरी मंदिर, उत्तर प्रदेश के वाराणसी में विशालाक्षी मंदिर, हिमाचल प्रदेश में ज्वालाजी मंदिर, पश्चिम बंगाल के नंदीपुर में नंदीकेश्वर शक्ति पीठ, ओडिशा के पुरी में विमला मंदिर, मध्य प्रदेश के अमरकंटक में कमलादेवी शक्ति पीठ और अन्य।

मथुरा-वृन्दावन: भगवान कृष्ण मथुरा में पैदा हुए थे और उनका बचपन वृन्दावन में बीता था। इन जगहों में भगवान कृष्ण और उनकी प्रेयसी राधा को समर्पित कई मंदिर हैं। 

हरिद्वार: उत्तराखंड में स्थित यह स्थान कैलाश पर्वत की तीर्थयात्रा शुरु करने के लिए आदर्श स्थान माना जाता है। 

वाराणसी: काशी के नाम से भी जाना जाने वाला यह भारत का सबसे पवित्र शहर है। इस शहर के घाट और मंदिरों की ओर बड़ी संख्या में हिंदू भक्त आकर्षित होते हैं। 

इन सब जगहों के अलावा भारत में बड़ी संख्या में मंदिर और धार्मिक स्थान हैं, जैसे इलाहाबाद, उज्जैन, नासिक, ऋषिकेश, गया, मदुरै, महाबलेश्वर आदि, और भी कई पवित्र स्थान हैं जिनका हिंदुओं में बहुत महत्व है। 

इस्लाम

हजरतबल: हजरतबल श्रीनगर में स्थित है और यहां पैगंबर मोहम्मद के अवशेष होने के कारण बहुत लोकप्रिय है। भक्तों को इन्हें देखने की इजाज़त साल में एक बार होती है और इस दौरान बड़ी संख्या में तीर्थयात्री यहां आते हैं। 

जामा मस्जिद: मुगल बादशाह शाह जहां की बनवाई हुई यह मस्जिद पुरानी दिल्ली में स्थित है। यहां मोहम्मद के कुछ अवशेष मौजूद हैं और यहां एक साथ हजारों भक्त एकत्रित हो सकते हैं। 

चेरामन जुमा मस्जिद: केरल स्थित यह मस्जिद भारत की पहली मस्जिद मानी जाती है। पैगंबर मोहम्मद के पहले अनुयायी मलिक इब्न दिनार ने इसे 629 ईस्वी में बनवाया था। 

ताज-उल-मस्जिद: मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित यह मस्जिद एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद है। इसके नाम का मतलब है सभी मस्जिदों के बीच ताज।

मक्का मस्जिद: हैदराबाद की यह मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। इसका निर्माण उन ईंटों से हुआ है जिसकी मिट्टी पवित्र मक्का से लाई गई थी।

भारत में बड़ी संख्या में मस्जिद और दरगाह हैं। भारत की कुछ प्रमुख मस्जिदों में लखनउ की आसफी मस्जिद, हैदराबाद की चार मीनार, दिल्ली की मोती मस्जिद, अलीगढ़ की सर सैयद मस्जिद, कोलकाता की टीपू सुल्तान शाह और अन्य कई हैं।


सिख धर्म

स्वर्ण मंदिर: अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को हरमिंदर साहिब भी कहा जाता है। यह सिखों का सबसे प्रमुख तीर्थ माना जाता है। इस मंदिर के चार दरवाज़े इस बात का प्रतीेक हैं कि यह सभी धर्म और आस्था के लोगों के लिए खुला है। 

आनंदपुर साहिब: पंजाब के रुपनगर जिले का भाग यह शहर पवित्र शहर के तौर पर जाना जाता है। तख्त श्री केशवगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब का मुख्य गुरुद्वारा और प्रमुख आकर्षण है। 

दमदमा साहिब: पंजाब के भटिंडा स्थित यह ‘टेम्पोरल प्राधिकरण’ के बैठने का स्थान है और सिखों का सबसे पूजनीय तख्त है।

पटना साहिब: तख्त पटना साहिब को तख्त श्री हरमिंदरजी भी कहा जाता है और बिहार के पटना स्थित यह जगह दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का जन्मस्थान है।

हजूर साहिब: तख्त सचखंड श्री हजूर अबचलनगर साहिब महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्थित है और सिखों के पांच तख्तों में से एक है। यह सबसे बड़े टेम्पोरल प्राधिकरणों में से एक है और इस जगह गुरु गोबिंद सिंह जी ने अंतिम सांस ली थी। 

हेमकुंड साहिब: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित यह जगह दसवें सिख गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह को समर्पित है। 

गुरुद्वारा पावंटा साहिब: पावंटा साहिब गुरुद्वारा दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है। यहां गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा लिखी किताब दसम ग्रंथ रखे होने के कारण इसका बहुत महत्व है।

बंगला साहिब गुरुद्वारा: मध्य दिल्ली स्थित यह जगह पहले राजा जय सिंह की थी जिसे बाद में गुरु हरकिशन जी की याद में एक गुरुद्वारे में तब्दील कर दिया गया।
 

रकब गंज गुरुद्वारा: दिल्ली स्थित यह गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि है जिन्हें मुगलों द्वारा मारे जाने के बाद बिना शीश के उनके शरीर का यहां अंतिम संस्कार किया गया था। 

सीस गंज गुरुद्वारा: यह दिल्ली का सबसे पुराना और ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। यह गुरु तेग बहादुर और उनके अनुयायियों को समर्पित है जिन्हें चांदनी चैक में मुगलों ने मौत के घाट उतारा था। 

ईसाई धर्म

बोम जीसस का बेसिलिका: गोवा स्थित यह चर्च भारत का पहला चर्च है जिसे माइनर बेसिलिका का पद मिला और यह सेंट फ्रांसिस जेवियर की कब्र के लिए भी जाना जाता है।

सेंट केजटन चर्च: गोवा की इस चर्च का स्वरुप रोम की सेंट पीटर चर्च जैसा है। यह चर्च ईसाई वास्तुकला और नवचेतना का उदाहरण है।

सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी: गोवा स्थित यह स्थान पहले आर्कबिशप का महल था और से-कैथेड्रल को सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी चर्च और कॉन्वेंट से जोड़ता है। यह पहले एक कान्वेंट था और बाद में 1521 में फ्रांसिस फ्रिआर के लिए चर्च में तब्दील कर दिया गया।

सांताक्रूज बेसिलिका: केरल की इस चर्च को मूलतः पुर्तगालियों ने बनाया था और बाद में पोप पॉल चतुर्थ ने इसे 1558 में कैथेड्रल का दर्जा दिया। विध्वंस और पुनर्निमाण के अनुभवों के बाद आखिरकार 1984 में इसे पोप जॉन पॉल ने बेसिलिका घोषित किया।

लिटिल माउंट चर्च: श्राइन ऑफ आवर लेडी ऑफ गुड हेल्थ चैन्नई की एक लोकप्रिय चर्च है और यह देश की सबसे पुरानी चर्चों में से एक है। 

कैथेड्रल चर्च ऑफ सेंट थॉमस: यह मुंबई शहर की पहली एंग्लिकन चर्च है। इसकी नींव 1672 में रखी गई थी और 1718 में इसका निर्माण पूरा हुआ, जिसके बाद इसे आम जनता के लिए खोला गया।

क्राइस्ट चर्च और सेंट माइकल कैथेड्रल: हिमाचल प्रदेश के शिमला के लोकप्रिय मॉल रोड पर स्थित यह चर्च उत्तर भारत का दूसरा सबसे पुराना चर्च माना जाता है। 

सेकर्ड हार्ट कैथेड्रल: यह रोमन कैथोलिक कैथेड्रल दिल्ली की सबसे पुरानी चर्चों में से एक है। यहां पूरा साल ईसाई धार्मिक सेवाएं आयोजित होती हैं।

कानपुर मेमोरियल चर्च: इसे मूलतः ऑल सॉल्स कैथेड्रल कहा जाता है और यह 1875 में उन अंग्रेजों की याद में बना था जिन्होंने 1857 के युद्ध में अपनी जान गवां दी थी।

भारत की अन्य लोकप्रिय चर्चों में सेंट एंड्रयू, सेंट फ्रांसिस जेवियर चर्च, कैथेड्रल चर्च, सेंट मोनिका चर्च और कैथेड्रल, द चैपल ऑफ द लेडी ऑफ द माउंट और मेटर देई चर्च हैं। यह सभी चर्च गोवा में स्थित हैं। गोवा के बाहर कुछ मशहूर चर्चों में सरधाना की कैथोलिक चर्च, गोरखपुर की सेंट जोसफ रोमन चर्च, पल्लसुर की सेंट थॉमस श्राइन, कोचीन की सेंट फ्रांसिस चर्च, केरल की परुमला पल्ली, कोचीन की सेंटा क्रूज बेसिलिका आदि अन्य हैं। 

बौद्ध धर्म

बोध गया: यह बिहार में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है और माना जाता है कि गौतम बुद्ध को यहां बोधि वृक्ष के नीचे आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई थी इसलिए इसका बहुत महत्व है। 

सारनाथ: उत्तर प्रदेश के सारनाथ में यह वो जगह है जहां बुद्ध ने धर्म पर अपना पहला पाठ सिखाया था।

कुशीनगर: उत्तर प्रदेश की इस जगह का बहुत धार्मिक महत्व है क्योंकि यहां गौतम बुद्ध ने अंतिम सांस ली थी और मृत्यु के बाद परिनिर्वाण पाया था।

जैन धर्म

बिहार का वैशाली, अंतिम तीर्थांकर महावीर का जन्मस्थान है और इसलिए यह जैन लोगों के लिए बहुत खास धार्मिक स्थान है। इस जगह का धार्मिक महत्व बौद्ध धर्म के लोगों के लिए भी है क्योंकि गौतम बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश यहां दिया था।

पावापुरी: बिहार का यह एक पवित्र स्थान है जहां भगवान महावीर ने मो़क्ष प्राप्त किया था। इन जगहों के अलावा देश में कई और मशहूर जैन मंदिर हैं। कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं.

गोमतेश्वर मंदिर: भगवान गोमतेश्वर या महान बाहुबली कर्नाटक के श्रवणबेलागोला में स्थित है और शहर के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। 

सोनागिरी मंदिर: मध्य प्रदेश के सोनागिरी में मुख्य मंदिर के अलावा कई दिगंबर जैन मंदिर हैं जो कि आसपास बने हैं। यह एक पहाड़ पर स्थित सफेद रंग के मंदिर हैं।

लाल मंदिर: नई दिल्ली के चांदनी चैक में स्थित श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर भगवान पाश्र्वनाथ को समर्पित है।

पालिताना मंदिर: श्वेतांबर जैन को समर्पित यह मंदिर गुजरात के भावनगर में स्थित है, यहां शत्रुंजय पर्वत पर हजारों की संख्या में मंदिर हैं। जैन लोग मानते हैं कि निवार्ण पाने के लिए जीवन में कम से कम एक बार इन मंदिरों के दर्शन जरुर करने चाहिये।

बावनगजा मंदिर: यह पहले तीर्थांकर आदिनाथ की दुनिया में सबसे बड़ी प्रतिमा के लिए जाना जाता है और यह मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में स्थित है।


यहूदी धर्म

यहूदियों के धार्मिक स्थान तीन विभिन्न यहूदी समूहों द्वारा बनाए और बांटे गए हैं। 

कोचीन सिनगाग: कोचीन का परदेसी सिनगाग राष्ट्रमंडल देशों का सबसे पुराना सिनगाग है। इसे कोचीन के यहूदी समुदाय या मालाबार येहूदन ने 1567 में बनवाया था।

बेने इसराइल सिनगाग: 18वीं सदी के अंत से 19वीं सदी की शुरुआत में बेने इजराइल यहूदी अहमदाबाद, मुंबई और पुणे में बस गए और देश के ज्यादातर सिनगाग बनाए। बेने इजराइल के कुछ सिनगाग में मुंबई का शार हाराचमिम, अहमदाबाद का मेगन अब्राहिम और महाराष्ट्र के अलीबाग और पनवेल और कोंकण के कई अन्य हैं।

बगदादी सिनगाग: भारत में बगदादी सिनगाग के निर्माण में इराकी यहूदियों के वंशजों ससून परिवार ने सहयोग दिया था। यह सिनगाग ज्यादातर पवित्र आर्क होते हैं जहां सेफर तोराह जमा होते हैं। भारत के कुछ बगदादी सिनगाग में महाराष्ट्र के भायकला का मेगन डेविड सिनगाग, मुंबई का केनसेथ एलियाहो सिनगाग और पुणे का ओहेल डेविड सिनगाग हैं।

सूफीवाद

मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह: अजमेर शरीफ के नाम से लोकप्रिय इस दरगाह के लिए माना जाता है कि यहां मांगी गई कोई दुआ खाली नहीं जाती। मशहूर संत मोइनुद्दीन चिश्ती की कब्र इस जगह है। इस स्थान पर सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि हर धर्म के लोग यहां प्रार्थना करते हैं। 

हाजी अली दरगाह: मुंबई में छोटे से टापू पर स्थित यह शहर का एक लैंडमार्क है। इस दरगाह में शाह बुखारी और सैयद पीर हाजी की कब्र है। हर साल यहां हजारों श्रद्धालु चादर चढ़ाने और प्रार्थना करने आते हैं। 

निजामुद्दीन दरगाह: दिल्ली में स्थित यह सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह है। 

चिराग-ए-दिल्ली दरगाह: दिल्ली स्थित इस दरगाह में सूफी संत हजरत नसीरुद्दीन मेहमूद चिराग देहलवी की कब्र है जिन्हें रौशन चिराग-ए-दिल्ली का शीर्षक मिला था।

पिरान कलियार शरीफ: रुड़की से कुछ किलोमीटर दूर हरिद्वार के कलियार गांव में स्थित यह दरगाह सूफी संत अलाउद्दीन अली अहमद सबीर कलियारी की है। वो चिश्ती क्रम की सबरियान शाखा के पहले संत थे।

हजरत बू-ली शाह कलंदर: हरियाणा के पानीपत में यह दरगाह सूफी संत शेख शराफुद्दीन बू अली कलंदर की है और इसे मुगल जनरल महाबत खान ने बनवाया था। 

तरकीन दरगाह: अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के अनुयायी ख्वाजा हमीदुद्दीन नागौरी को यह समर्पित है। इस दरगाह का सबसे बड़ा आकर्षण एक बिना पत्तों का पेड़ है जिसने पूरी मजार को ढंक रखा है। 

सूफी दरगाहें या धार्मिक स्थान सबके लिए खुले रहते हैं। यहां सभी धर्मों के लोग बड़ी तादाद में आते हैं।

पारसी धर्म
पारसी धर्म के पूजा स्थलों को फायर टेंपल कहा जाता है। भारत में करीब 150 फायर टेंपल हैं, जिनमें से ज्यादातर मुंबई और गुजरात में हैं। भारत के कुछ मशहूर फायर टेंपल उदवाडा का इरानशाह अतश बेहरम, सूरत का वकील अतश बेहरम, हैदराबाद का मानकजी नुसरवंजी चिनॉय फायर टेंपल, मुंबई का सेठ होरमसजी बोमनजी वाडिया, नवसारी का मोबेद मिनोचेरहोमजी अदरायन और अन्य कई हैं। 

बहाई
लोटस टेंपल: पूजा के लिए यह बहाई हाउस 1986 में दिल्ली में बना था और यह अपने फूल जैसे आकार के लिए जाना जाता है। बड़ी संख्या में अलग अलग धर्म और आस्था के लोग हर दिन इस मंदिर का दौरा करते हैं। 

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