Tuesday, 6 June 2017

जन गण मन का अर्थ

जन गण मन



जन गण मन अधिनायक जय हे 

भारत भाग्य विधाता 

पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा

द्राविड़ उत्कल बंग 

विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा 

उच्छल जलधि तरंग 

तव शुभ नामे जागे 

तव शुभ आशिष मागे 

गाहे तव जय गाथा 

जन गण मंगल दायक जय हे 

भारत भाग्य विधाता 

जय हे जय हे जय हे 

जय जय जय जय हे... भारत माता की जय


भारत के राष्ट्रगान जन गण मन का अर्थ 



राष्ट्रगान का अर्थ इस प्रकार है:- “सभी लोगों के मस्तिष्क के शासक, कला तुम हो, भारत की किस्मत बनाने वाले [ये पंक्ति भारत के नागरिकों को समर्पित है, क्युकी लोकतंत्र में नागरिक ही वास्तविक स्वामी होता है] [ अगली पंक्तिया भारत देश की भूमि को नमन करते हुए है ] तुम्हारा नाम पंजाब, सिन्ध, गुजरात और मराठों के दिलों के साथ ही बंगाल, ओड़िसा, और द्रविड़ों को भी उत्तेजित करता है, इसकी गूँज विन्ध्य और हिमालय के पहाड़ों में सुनाई देती है, गंगा और जमुना के संगीत में मिलती है और भारतीय समुद्र की लहरों द्वारा गुणगान किया जाता है। वो तुम्हारे आर्शीवाद के लिये प्रार्थना करते है और तुम्हारी प्रशंसा के गीत गाते है। [अगली पंक्तिया देश के सैनिकों और किसानों को समर्पित है ] तुम ही समस्त प्राणियों को सुरक्षा एवं मंगल जीवन प्रदान करने वाले हो, और तुम ही भारत के वास्तिविक भाग्य विधाता हो जय हो जय हो जय हो तुम्हारी। आप सभी से मिलकर ये राष्ट्र बना है, अतः आप सबकी जय जय जय जय हे" 

भारत के राष्ट्रगान का इतिहास 


रबिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा 'जन गन मन अधिनायक' को पहले बंगाली में लिखा गया था, और इसका हिन्दी संस्करण संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को स्वीकार किया गया। 1911 में टैगोर ने इस गीत और संगीत को रचा था और इसको पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कलकत्ता मीटिंग में 27 दिसंबर 1911 में गाया गया था। इस गीत के एक संस्करण का बंगाली से अंग्रेजी में अनुवादित किया गया और तब इसका संगीत मदनापल्लै में सजाया गया जो कि आंध्रप्रदेश के चित्तुर जिले में है। भारत के राष्ट गान को गाने के लिए निर्धारित समय ५२ सेकण्ड है, और इस समय सभी जन सावधान की मुद्रा में भारतीय ध्वज की तरफ उन्मुख होते है 
अंतिम संशोधन : जुलाई 15, 2016 

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