Friday 25 January 2019

पहली बार आज़ाद हिन्द फौज के सैनिक लेंगे परेड में भाग

इस बार 70वें गणतन्त्र दिवस की परेड में आज़ाद हिन्द फौज के सैनिक हिस्सा लेंगे. इस परेड को देखना अपने आप में गौरव का क्षण होगा. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जी की सेना के 4 सैनिक परेड में भाग लेने वाले हैं. जो सैनिक परेड में भाग लेगें उन सबकी उम्र 90 साल के पार है.


भारतीय सेना से साथ परेड में भाग लेने वाले सैनिकों में आईएनए के पूर्व सैनिक लालतीराम(98), हीरा सिंह(97), भागमल(95) और परमानंद(99) सेना की खुली जीप में परेड में शामिल होगें.


क्या है आज़ाद हिन्द फ़ौज का इतिहास-
  1. द्वितीय विश्व युद्ध  के दौरान सन 1942 में भारत को अंग्रेजों के कब्जे से स्वतन्त्र कराने के लिए आजाद हिन्द फौज या इन्डियन नेशनल आर्मी (INA) सशस्त्र सेना का गठन किया गया. रास बिहारी बोस ने जापान की सहायता से  टोकियो में इस सेना को तैयार किया.
  2. बोस ने जापानियों और दक्षिण-पूर्वी एशिया से करीब 40,000 भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना का गठन किया. एक वर्ष बाद  सुभाष बाबू ने जापान पहुँचते ही जून 1943 में टोकियो रेडियो से घोषणा की कि अंग्रेजों से यह आशा करना बिल्कुल व्यर्थ है कि वे स्वयं अपना साम्राज्य छोड़ देंगे. हमें भारत के भीतर व बाहर से स्वतंत्रता के लिये स्वयं संघर्ष करना होगा.
  3. इस बात से खुश होकर रासबिहारी बोस ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को आज़ाद हिन्द फौज़ का सर्वोच्च कमाण्डर नियुक्त करके उनके हाथों में इसकी कमान सौंप दी.
  4. आरम्भ में इस फौज़ में उन भारतीय सैनिकों को लिया गया था जो जापान द्वारा युद्धबन्दी बना लिये गये थे. बाद में इसमें  बर्मा और  मलाया  में भारतीय स्वयंसेवक भर्ती किये गए.
  5. 5 जुलाई 1943  को  सिंगापुर  के टाउन हाल के सामने ‘सुप्रीम कमाण्डर’ के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए “दिल्ली चलो!” का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इम्फाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया.
  6. 21 अक्टूबर 1943 के सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी. अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप तथा निकोबार का स्वराज्य द्वीप रखा गया.
  7. 30 दिसम्बर 1943 को इन द्वीपों पर स्वतन्त्र भारत का ध्वज भी फहरा दिया गया. 4 फ़रवरी 1944 को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा भयंकर आक्रमण किया और कोहिमा, पलेल आदि कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त करा लिया. 21 मार्च 1944 को ‘चलो दिल्ली’ के नारे के साथ आज़ाद हिंद फौज का हिन्दुस्थान की धरती पर आगमन हुआ.  


26 जनवरी को परेड में जब आज़ाद हिन्द फौज के सैनिक भाग लेगें तो उस मनोरम और रोमांचक माहौल को देखना अपने आप में देश के लोगों का सौभाग्य होगा.


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