Monday 29 May 2017

भारतीय मिट्टी की सुगन्ध


भारत बहुत भाग्यशाली है कि उसके पास विश्व की सबसे व्यापक और उर्वर भूमि है जो कि प्रबल नदियों द्वारा गोद के रुप में लाई गई जलोड़ मिट्टी से बनी है। हिमालय के दक्षिण में स्थित उत्तर भारत का ग्रेट प्लेन क्षेत्र इंडस बेसिन, गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन और इन प्रबल नदी तंत्र की सहायक नदियों से मिलकर बना है। 

उत्तर भारत के ग्रेट प्लेन के दक्षिण में प्रायद्वीपीय भारत का ग्रेट प्लेटू है जो कि दो भागों में बंटा है यानि मालवा पठार और डेक्कन पठार। मालवा पठार उत्तर पश्चिम से अरावली की पहाडि़यों से घिरा है और दक्षिण में विंध्य है, जो इस प्रायद्वीप का आधा उत्तरी भाग बनाता है। छोटा नागपुर इस पठार का उत्तरपूर्वी हिस्सा है और यह भारत का सबसे अधिक खनिज समृद्ध राज्य है। नर्मदा नदी की घाटी इस पठार की दक्षिणी सीमा बनाती है। डेक्कन पठार, उत्तर की सतपुड़ा की पहाडि़यों से दक्षिण के कन्याकुमारी तक फैला है। 

इस पठार के पश्चिम में पश्चिमी घाट है जिसमें सहयाद्री, नीलगिरी, अन्नामलाई और कार्डमम पर्वत शामिल हैं। पूर्व की ओर यह पठार कई छोटी पहाडि़यों में मिल जाता है जिन्हें महेन्द्र गिरी की पहाडि़यों के नाम से जाना जाता है और ये पूर्वी घाट का हिस्सा है।


अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के साथ ही छोटा सा तटीय मैदानी क्षेत्र भी है जिसके क्रमशः पूर्वी और पश्चिमी तरफ डेक्कन पठार है। पश्चिमी तटीय मैदानी इलाका, पश्चिमी घाट और अरब सागर के मध्य में स्थित है और आगे जाकर उत्तरी कोंकण तट और दक्षिणी मालाबार तट में विभाजित हो जाता है। दूसरी ओर पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र, पूर्वी घाट और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित है और पश्चिमी मैदानी इलाकों की तरह दो हिस्सों में बंट जाता है, दक्षिणी भाग के रुप में कोरोमंडल तट में और उत्तरी भाग के तौर पर उत्तरी सिरकरस में। 


भारत के लगभग आधे पश्चिमी भाग में एक बहुत विस्तृत भूमि है जो कि अरावली की पहाडि़यों से दो अलग अलग इकाइयों में बंटी है। अरावली के पश्चिम की ओर के क्षेत्र में थार का रेगिस्तान शामिल है जो कि रेत से बना है और निर्जल घाटियों और चट्टानी पहाडि़यों से अवरुद्ध है। ये इलाका पाकिस्तान में भी दूर तक फैला है। इस श्रृंखला के पूर्व की ओर गुजरात राज्य है जो कि भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है। 

इस मुख्य भू भाग में भारत के अलावा दो द्वीप समूह भी हैं, बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार और अरब सागर में लक्ष्यद्वीप। 

राजनीतिक तौर पर भारत ने आजादी के पहले की स्थिति की तरह अपनी प्राकृतिक सीमाओं को बढ़ाया और ना सिर्फ किरथर श्रृंखला के आगे बलूचिस्तान बल्कि बंगाल की खाड़ी का एक छोटा हिस्सा भी शामिल किया।

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